
What is
Vivekananda Shaktipeeth ?
माँ भारती के आशीर्वाद से नारनौल (हरियाणा) च्यवन ऋषि की तपोभूमि को उत्तर भारत का भावी कन्याकुमारी बनाने का जो स्वपन मैंने देखा था, उस बीज का पहला अंकुर फुट आया था। 5 जनवरी 2010 को विवेकानंद रॉक पर जो व्रत और संकल्प लिया था वह गुरु कृपा से अपना स्वरूप शक्तिपीठ के रूप में जन्म ले चूका था और मेरे जीवन की तपोभूमि मुझे दिन प्रतिदिन कठोर परिश्रम करने के लिए अपनी और खींचे चली जा रही थी।
विवेकानंद शक्तिपीठ आने वाले समय में यह एक राष्ट्रीय धरोवर बनेगा जो भारत माँ के प्राणो में नव नूतन प्राणो का संचार करेगा। यह देशवासियो को उनके अमृत पुत्र होने का बोध कराने वाला तीर्थ स्थान है। इस स्थान का एक ही मंत्र है , राष्ट्र प्रेम और मानवता - जागरूकता ही इसकी साँस है और पुरुषार्थ ही इसका मार्ग है इस तपोभूमि से यह सिंहनाद होगा - मेरे अमृत पुत्रो तुम्हे किसी सहारे की आवश्कता नहीं है। संसार की सम्पूर्ण शक्ति तुम्हारे पास है। तुम्हे इसे खोजना होगा। जिस दिन इस शक्ति को जान लोगे उस दिन तुम संसार के महानायक बनोगे। यह संस्था ऐसे साधको को तैयार करेगी जो अपने देश के लिए अपना सब कुछ त्यागने के लिए तत्पर हो। यही साधक अवं कर्मयोगी जो राष्ट्र की प्रगति में मील के नए पत्थर को जोड़ने का काम करेंगे। आने वाले समय में हम आध्यात्मिक, कृषि, पर्यावरण, पर्यटन, छेत्र में विकास करके रोजगार के सुअवसर प्राप्त कराना हमारा मुख्य कार्य होगा।