
Achievements
अपने निजी संसांधनों का सदुपयोग करते हुए भूमि खरीदी गई सन 2011 यह भूमि रेतीले टिब्बो, नालो, उबड़ खाबड़ और जंगली झाड़ियों से भरपूर थी। धीरे धीरे ज:स:बी: और ट्रेक्टर के माध्यम से इसे समतल कराया गया। पिछले कुछ वर्षो से 12 एकड़ में इसमें खेती की जा रही है जिससे की आर्धिक संसाधन जुटाए जा सके। 4 एकड़ जमीन की पक्की चार दीवारी तैयार की गयी है और उसके साथ साथ टाइलों से पक्की आने जाने के लिए 15 फ़ीट सड़क तैयार की गयी है। मुख्य गेट के पास कार पार्किंग तैयार की गयी है। खेती करने के लिए एक सोलर टूबवेल 15 किलोवाट का तैयार किया गया है। सर्वप्रथम 2011 में एक बड़ा 1 हॉल और बरामदा तैयार कराया गया ताकी लोगो के आने पर रहने की सुविधा मिल पाए। 2018 में रिटायरमेंट होने पर 10 कमरों का निर्माण कार्य संम्पन हुआ, दूसरी तरफ एक बड़ा ब्लॉक बनाया गया जिसमे स्त्री और पुरुष शौचालय का निर्माण हुआ।
मुख्य दरवाजे के सामने एक विशालकाय स्वामी विवेकानंद की मूर्ति स्थापित की गयी है। जिसका फाउंडेशन लगभग 1000 गज में फैला हुआ है। स्वामी विवेकानंद का स्वागत मार्ग दोनों तरफ से सुंदर पौधों से सजाया गया है। स्वामी जी का फाउंडेशन अष्ट भुजा में बना है और चारो और परिक्रमा करने की सुविधा भी दी गयी है। इस परिक्रमा मार्ग में फाउंटेन देने की भी परियोजना है। पहाड़ी की तरफ स्वामी जी के पीछे एक सुंदर 3 एकड़ में बगीचा बना हुआ है जिसमे नीम्बू, मौसमी, कीनू और करोंदा के पेड़ है। इस बगीचे ने शक्तिपीठ के सौंदर्य को बड़ा दिया है और एक बंजर जम्में में नयी ऊर्जा प्रदान की है। चारो तरफ अरावली पर्वतो के होने के कारण यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।
शक्तिपीठ में रहने के लिए 12 कमरों की सुविधा है जिसमे रहने के लिए सभी जरूरी सुविधा उपलब्थ है। कमरों में रहने के साथ साथ शक्तिपीठ में ध्यान लगाने के लिए ध्यान कक्ष का भी निर्माण किया गया है जिसमे बहुत शांति से ध्यान किया जा सकता है और अपनी अंतरात्मा से मिला जा सकता है। आगे चलकर जल्द ही शक्तिपीठ में एक सुंदर सा पुस्तकालय निर्माण करने की योजना है।
विवेकानंद शक्तिपीठ की रात्रि का अनुभव एक अलग ही ऊर्जा प्रदान करता है। रात्रि में शक्तिपीठ में बहुत आराम से चद्र्मा और तारो की रौशनी में बैठकर इन अरावली पर्वतो का भरपूर आध्यात्मिक आंनद लिया जा सकता है, जो अद्वितीय है।